अजमेर शहर का इतिहास



अजमेर का इतिहास : अजमेर का परिचय :-

अजमेर भारतीय राज्य राजस्थान का एक जिला है। राजस्थान राज्य का हृदयस्थल अजमेर जिला राजस्थान राज्य के मध्य में 25 डिग्री 38’ से 26 डिग्री 50’ उतरी अक्षांश एवं 73 डिग्री 54’ से 75 डिग्री 22’ पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित हैं। अजमेर उत्तर-पश्चिमी रेल्वे के दिल्ली-अहमदाबाद मार्ग पर स्थित हैं जो जयपुर के दक्षिण-पश्चिम में लगभग 135 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। अजमेर तारागढ़ की पहाड़ी, जिसके शिखर पर किला है, निचली ढलानों पर यह शहर स्थित है। पर्वतीय क्षेत्र में बसा अजमेर अरावली पर्वतमाला का एक हिस्सा है, जिसके दक्षिण-पश्चिम में लूणी नदी व पूर्वी हिस्से में बनास की सहायक नदियाँ बहती हैं। मुग़लों की बेगम और शहजादियाँ यहाँ अपना समय व्यतीत करती थी। इस क्षेत्र को इत्र के लिए प्रसिद्ध बनाने में उनका बहुत बड़ा हाथ था। कहा जाता है कि नुरजहाँ ने गुलाब के इत्र को ईजाद किया था। कुछ लोगों का मानना है यह इत्र नूरजहाँ की माँ ने ईजाद किया था। अजमेर में पान की खेती भी होती है। इसकी महक और स्वाद गुलाब जैसी होती है। वर्तमान मे जिला 12 उपखण्ड, 11 पंचायत समिति समिति व 19 तहसील मे विभाजित है।

परिचय :-

अजमेर शहर का नाम अजयमेरू के नाम पर पड़ा हैं। जिसकी स्थापना 1113 ई. में चौहान राजा अजयराज ने की थी। अजमेर से 10 किलोमीटर दूर स्थित अजयपाल का मंदिर आज भी अजमेर के संस्थापक की याद दिलाता हैं। अजमेर नगर घुघरा घाटी को केंद्र मानकर बसाया गया।12 वीं शताब्दी में चौहान राजा अजयराज के समय यह एक महत्त्वपूर्ण नगर बन गया था। अजमेर का वास्तविक संस्थापक अजयराज चौहान को माना जाता हैं। चौहान राजा अजयराज ने 1113 ई. में अजमेर नगर की स्थापना की थी । अजयराज ने अपनी राजधानी का नाम अजयमेरु रखा । जबकि अजयपाल ने 7 वी सदी में बिठली पहाड़ी पर एक क़िला गढ़-बिठली नाम से बनवाया था। जो बाद में अजयराज के द्वारा स्थापित 1113 ई. में अजमेर नगर के नाम से अजयमेरु कहलाया । जिसे कर्नल टाड ने अपने सुप्रसिद्ध ग्रंथ में राजपूताने की कुँजी कहा है। पर ये चोहनो की कुँजी है जिसका मुख्यालय अजमेर है।जिसका क्षेत्रफल – 8841 वर्ग कि॰मी॰ है। 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या 2584913 है।

इतिहास :-

राजपुताना व बंबई गजट के अनुसार अजमेर पर 700 वर्षों तक चौहान वंश के राजपूतो का राज था।  अजमेर में 1153 ई में प्रथम नरेश बीसलदेव चौहान ने एक मन्दिर बनवाया था, जिसे 1192 ई. में मुहम्मद ग़ोरी ने नष्ट करके उसके स्थान पर अढ़ाई दिन का झोंपड़ा नामक मस्जिद बनवाई थी। कुछ विद्वानों का मत है, कि इसका निर्माता कुतुबुद्दीन ऐबक था। कहावत है, कि यह इमारत अढ़ाई दिन में बनकर तैयार हुई थी, किन्तु ऐतिहासिकों का मत है, कि इस नाम के पड़ने का कारण इस स्थान पर मराठा काल में होने वाला अढ़ाई दिन का मेला है। इस इमारत की क़ारीगरी विशेषकर पत्थर की नक़्क़ाशी प्रशंसनीय है। इससे पहले सोमनाथ जाते समय (1124 ई.) में महमूद ग़ज़नवी अजमेर होकर गया था। मुहम्मद ग़ौरी ने जब 1192 ई. में भारत पर आक्रमण किया, तो उस समय अजमेर पृथ्वीराज के राज्य का एक बड़ा नगर था। पृथ्वीराज की पराजय के पश्चात दिल्ली पर मुसलमानों का अधिकार होने के साथ अजमेर पर भी उनका क़ब्ज़ा हो गया और फिर दिल्ली के भाग्य के साथ-साथ अजमेर के भाग्य का भी निपटारा होता रहा। 1193 में दिल्ली के ग़ुलाम वंश ने इसे अपने अधिकार में ले लिया। मुग़ल सम्राट अकबर को अजमेर से बहुत प्रेम था, क्योंकि उसे मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की यात्रा में बड़ी श्रृद्धा थी। एक बार वह आगरा से पैदल ही चलकर दरग़ाह की ज़ियारत को आया था। मुईनुद्दीन चिश्ती 12वीं शती ई. में ईरान से भारत आए थे। अकबर और जहाँगीर ने इस दरग़ाह के पास ही मस्जिदें बनवाई थीं। शाहजहाँ ने अजमेर को अपने अस्थायी निवास-स्थान के लिए चुना था। निकटवर्ती तारागढ़ की पहाड़ी पर भी उसने एक दुर्ग-प्रासाद का निर्माण करवाया था, जिसे विशप हेबर ने भारत का जिब्राल्टर कहा है। यह निश्चित है, मुगलकाल में अजमेर को अपनी महत्त्वपूर्ण स्थिति के कारण राजस्थान का नाक़ा समझा जाता था। अजमेर के पास ही अनासागर झील है, जिसकी सुन्दर पर्वतीय दृश्यावली से आकृष्ट होकर शाहजहाँ ने यहाँ पर संगमरमर के महल बनवाए थे। यह झील अजमेर-पुष्कर मार्ग पर है। सन् 1878 में अन्ग्रेजों ने वर्धनोरा (बदनोरा) राज्य में अजमेर और केकड़ी प्रान्त को सामिल कर अजमेर मेरवाड़ा के नाम से संयुक्त स्टेट बनाकर केन्द्रीय शासक प्रदेश बनाया था। 1956 में यह राजस्थान राज्य का हिस्सा बन गया। वर्तमान में अजमेर के जिला प्रमुख विश्वमोहन शर्मा है। बीसलदेव चौहान या विग्रहराज प्रथम 8 वी. शताब्दी के चौहान -राजवंश के प्रतापी राजा थे l अरबों से युद्ध भूमि में लड़ते हुए राणा सांगा की भाती इनका दाहिना हाथ कट गया था l बीसलदेव चौहान चौहान वंश की सबसे प्रतापी राजा जिन्होंने अजमेर पर शासन किया वह अजमेर का साम्राज्य आधुनिक मेवाड़ का साम्राज्य भी इसमें सम्मिलित था जैसे भीलवाड़ा राजसमंद इन्हीं के साम्राज्य में आते थे l

इनके छोटे भाई मांडलजी चौहान ने जिन्होंने मेवाड़ में भीलवाड़ा जिले के पास प्रसिद्ध मंडल झील की स्थापना की थी। मंडलजी, अजमेर के राजा बिसाल देव चौहान (विशाल देव चौहान) केे भाई थे, जिन्होंने ने संभवत: 8 वीं शताब्दी में अजमेर पर शासन किया था और साथ ही अरब घुसपैठ का सफलतापूर्वक प्रतिरोध किया और तोमर वंश के शासकों को दिल्ली पर नियंत्रण पाने में मदद की।

यातायात और परिवहन :-

अजमेर पहुँचने के लिए सबसे बेहतर विकल्प रेल मार्ग है। दिल्ली से दिल्ली-अहमदाबाद एक्सप्रेस द्वारा आसानी से अजमेर पहुँचा जा सकता है। रेलमार्ग के अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग 8 से निजी वाहन द्वारा भी बेहरोड और जयपुर होते हुए अजमेर पहुँचा जा सकता है।

कृषि और खनिज :-

अजमेर में कृषि मुख्य व्यवसाय है और मुख्यतः मक्का, गेहूँ, बाजरा, चना, कपास, तिलहन, मिर्च व प्याज़ उगाए जाते हैं। यहाँ पर अभ्रक, लाल स्फटिक घातु और इमारती पत्थर की खुदाई होती है।

उद्योग और व्यापार :-

सड़क व रेल मार्गों से जुड़ा अजमेर नमक, अभ्रक, कपड़े व कृषि उत्पादों का प्रमुख व्यापारिक केन्द्र है और यहाँ तिलहन, होज़री, ऊन, जूते, साबुन व दवा निर्माण से जुड़े छोटे-छोटे अनेक उद्योग हैं। अजमेर कपड़ों की रंगाई व बुनाई तथा अपने हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है।

अजमेर का स्थापना दिवस आज... 1112 में अजय राज चौहान ने रखी थी गढ़ अजयमेरू की नींव

अजमेर| 27 मार्च 1112 को चौहान वंश के तेईसवें शासक राजा अजयराज चौहान ने गढ़ अजयमेरू की स्थापना की तथा चौहान साम्राज्य की राजधानी बनाई। उसके बाद इसका नाम अजयमेर और फिर अजमेर हुआ। अजयमेरू की स्थापना का पुरातात्विक व ऐतिहासिक प्रमाण 27 मार्च 1112 का ही उपलब्ध है। कहीं राजा अजयपाल चौहान का और कहीं राजा अजयदेव चौहान का नाम अजमेरू के स्थापना के संबंध में उल्लेख आता है।

कर्नल टॉड ने राजा अजयराज चौहान को अजयमेरू दुर्ग का ही निर्माता माना है जो बाद में गढ़ बीठली और फिर तारागढ़ पड़ा। वर्ष 1940 से पूर्व चंद्रवरदाई द्वारा रचित "पृथ्वीराज रासो' ही चौहानों के इतिहास की जानकारी उपलब्ध थी। यह मात्र एक साहित्यक रचना व कल्पना पर आधारित महाकाव्य ही था पर वर्ष 1940 में प्रो. ब्यूहमर द्वारा कश्मीर से लाई गई ताड़पत्रों पर लिखित जयनक कश्मीरी द्वारा पुष्कर में रचित पृथ्वीराज विजय महाकाव्य की उपलब्धता ने यथार्थ की ओर अग्रसर होने का मार्ग प्रशस्त किया।

इतिहासकार डॉ. गौरी शंकर हीराचंद ओझा ने पंडित चंद्रधर शर्मा के सहयोग से इसको 1940 में संपादित कर प्रकाशित किया। इससे प्रभावित होकर हरविलास शारदा ने इस ग्रंथ का सार अंग्रेजी में उपलब्ध कराया। इस ग्रंथ में अजयमेरू की स्थापना विक्रम सं. 1170 अर्थात वर्ष 1112 का उल्लेख है। इस तिथि के पूर्व यहां मानव बस्तियां अवश्य रही होगी पर अजयमेरू नाम का नगर का कोई भी पुरातात्विक व ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। अजयमेरू को चौहान साम्राज्य की राजधानी बनाई गई। बाद में अजयमेरू का नाम अजमेरे और फिर अजमेर हुआ। राजा अजयराज चौहान के उत्तराधिकारी राजा अर्णोराज ने दो पहाड़ियां वर्तमान में बजरंग गढ़ पहाड़ी और खोबरा भैरू पहाड़ी के मध्य बांध का निर्माण कराया। जो वर्तमान आनासागर झील के नाम से विख्यात है। उन्होंने पुष्कर झील के चारों ओर सुंदर घाटों का भी निर्माण कराया। अर्णोराज के द्वितीय पुत्र विग्रहराज चतुर्थ बीसलदेव के शासनकाल में सांस्कृतिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिला। उन्होंने बीसलसर झील व बीसलपुर नगर स्थापित किए। इनके पश्चात पृथ्वीराज द्बितीय ने शासन किया और फिर सोमेश्वर राजा बना। इन्होंने पुष्कर के पास वैद्यनाथ धाम का निर्माण तथा गंगवाना (गंगाधारव शिव को लोक) (गगवाना) को शिव मंदिरों की नगरी बनाया।

चौहान वंश के पृथ्वीराज चौहान तृतीय महानतम सम्राट हुए इन्हें अंतिम हिन्दू सम्राट माना जाता है। पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल में उनके दरबारी कवि जयनक कश्मीरी ने लिखा है कि इन्द्र की अमरावती, कृष्ण की द्वारिका व रावण की लंका भी मेरे याने अजयमेरू की सौंदर्य के सम्मुख लजाती थी। पृथ्वीराज चौहान ने दिल्ली के चौहान साम्राज्य की दूसरी राजधानी बनाया। पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल में ही सूफी संत हारून चिश्ती के शिष्य ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ने अजमेरू में अपना आसरा लिया तथा इनकी समाधि स्थल मजार (दरगाह शरीफ) के रूप में विश्व विख्यात हुई।

1562 से 1579 के मध्य बादशाह अकबर प्रति वर्ष ख्वाजा साहिब के आस्ताने पर माथा टेकने आते रहे। उन्होंने यहां अकबरी मस्जिद बनवाई और समाधि स्थल को सुंदरता प्रदान की। आगरा से अजमेर तक कोस मीनारें का निर्माण कराया जो संचार सूत्र का काम करती थी। यहां अपने निवास के लिए दौलतखाना जो अकबर का किला के नाम से जाना जाता है का निर्माण कराया। अकबर ने नगर परकोटा त्रिपोलिया गेट, दिल्ली गेट, बांसपट्टान गेट, मदार व डिग्गी गेट का भी निर्माण कराया। अकबर के किले में ही हल्दीघाटी युद्ध की रूपरेखा बनी थी।

बादशाह जहांगीर ने अजमेर में करीब तीन वर्ष तक लगातार निवास कर मुगल साम्राज्य की कैम्प राजधानी का रूप प्रदान किया। उन्होंने दौलतबाग (सुभाष उद्यान) व तारागढ़ के पास चश्मा- ए-नूर का निर्माण कराया। अजमेर में ही इंग्लैंड के राजा जेम्स प्रथम के दूत सर थोमसरो ने 10 जनवरी 1616 को सूरत में व्यापार प्रारंभ की अनुमति प्राप्त की। बेगम नूर महल को नूरजहां का खिताब यहीं दिया। शाहजहां ने दरगाह शरीफ में शाहजहांनी मस्जिद तथा आनासागर बंदे पर बारहदरियां का निर्माण कराया। 1756 में अजमेर मराठों के अधिकार में आ गया। मराठों के बाद अंग्रेजों ने अजमेर को राजपुताना का केंद्र बनाया तथा यहां की रियासतों पर नियंत्रण स्थापित कराया। 1836 में अजमेर ऑक्सफोर्ड गवर्नमेंट कॉलेज खुला तथा 1875 में लार्ड मेयो की प्रेरणा से मेयो कॉलेज की स्थापना हुई। कर्नल डिक्सन ने अजमेर-मेरवाड़ा में अनेक तालाबों का निर्माण कराया। 1876 में अजमेर रेल सेवा से जुड़ा। 1890 में यहां रेलवे के लोको कारखाने स्थापित हुए। 1894 में पहला भाप का रेल इंजन यहीं बना। यहां 1883 में आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती का निर्वाण हुआ। ऐतिहासिक दृष्टि से अजमेर का वर्णन पुष्कर का उल्लेख किए बगैर अधूरा है। यहां से करीब 11 किमी की दूरी पर स्थित पुष्कर के महत्व का बाल्मीकि रामायण और महाभारत में उल्लेख मिलता है। भारत पंच सरोवरों में से पुष्कर सरोवर भी है तथा यहां ब्रह्माजी का एकमात्र मंदिर है। यहां गायत्री शक्ति पीठ, चामुंडा मंदिर भी है। पांडवों ने अज्ञातवास में कुछ समय यहां भी बिताया। राम ने पिता दशरथ का तर्पण गया कुंड पर किया। सभी ऋषियों ने पुष्कर में साधना की। यह तपोभूमि है।

अजमेर शरीफ दरगाह जाने से पहले जान लें ये जरूरी बातें

भारत देश एक पूण्यभूमि हैं, यहाँ ऐसे कई तीर्थ स्थान है जहा हर धर्म के लोग आस्था के साथ जाते है ऐसा ही एक तीर्थ स्थान है अजमेर शरीफ़ दरगाह है, कहा जाता है की अजमेर दरगाह में आप जो भी मन्नत मागते हो वो पूरी हो जाती है। यह दरगाह ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है।
राजस्थान राज्य के अजमेर में स्थित ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। यह दरगाह, पिंकसिटी जयपुर से करीब 135 किलोमीटर दूर, चारों तरफ अरावली की पहाड़ियों से घिरे अजमेर शहर में स्थित है। अजमेर शरीफ की दरगाह के नाम से यह पूरे देश में प्रसिद्ध है।
इस दरगाह से सभी धर्मों के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। इसे सर्वधर्म सद्भाव की अदभुत मिसाल भी माना जाता है। ख्वाजा साहब की दरगाह में हर मजहब के लोग अपना मत्था टेकने आते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भी ख्वाजा के दर पर आता है कभी भी खाली हाथ नहीं लौटता है, यहां आने वाले हर भक्त की मुराद पूरी होती है। ख्वाजा की मजार पर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, बीजेपी के दिग्गत नेता स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी, देश की पहली महिला पीएम इंदिरा गांधी, बराक ओबामा समेत कई नामचीन और मशहूर शख्सियतों ने अपना मत्था टेका है। इसके साथ ही ख्वाजा के दरबार में अक्सर बड़े-बड़े राजनेता एवं सेलिब्रिटीज आते रहते हैं और अपनी अकीदत के फूल पेश करते हैं एवं आस्था की चादर चढ़ाते हैं।

Ajmer Shopping Places: इन जगहों पर कम बजट में करें शानदार शॉपिंग

अजमेर में अगर आप दरगाह के लिए जा रहे हैं तो कुछ समय निकालकर यहां के मार्केट्स में जरूर घूमें। इन बाजार में आपको ट्रडिशनल कपड़ों से लेकर खूबसूरत चूड़ियों की काफी वरायटी मिलेगी।

महिला मंडी
महिलाओं के लिए अजमेर का बेस्ट मार्केट महिला मंडी है। जैसा ही नाम ही बताता है यहां महिलाओं से जुड़ी हर चीज मिलेगी। यहां आपको ट्रडिशनल राजस्थानी कपड़े, बैग, जूते आदि के कई ऑप्शन्स मिलेंगे, जो कहीं और मिलना मुश्किल है। शादी का सीजन चल रहा है ऐसे में अगर आप लहंगा खरीदने का प्लान बना रही हैं तो फिर यहां जरूर जाएं। इस जगह मिलने वाले ब्राइट कलर और सॉफ्ट फैब्रिक के लहंगे आपका दिल जीत लेंगे।
राजस्थान के कल्चर को दिखाते ट्रडिशनल कपड़ों को खरीदने के लिए नाला बाजार भी अच्छा ऑप्शन है। यहां आप खूबसूरत टाई ऐंड डाई के दुपट्टे, साड़ी और मोजड़ी जूते खरीद सकती हैं। जब शॉपिंग हो जाए तो पेट पूजा के लिए यहां के स्ट्रीट फूड का मजा जरूर लें
चूड़ी बाजार
जैसा की नाम ही बताता है यहां पर आपको चूड़ियां हीं चूड़ियां देखने को मिलेंगी। कांच की चूड़ियों से लेकर मेटल, लाह और प्लास्टिक जैसी चूड़ियों की हर वरायटी यहां मौजूद है। सोने और चांदी की चूड़ी खरीदनी है 

अजमेर में नया बाज़ार

नया बाज़ार अजमेर का मुख्य शॉपिंग सेंटर है और यह दुनिया भर से बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह अजमेर का मुख्य बाजार है जो कई चीजों की बिक्री करता है जिसमें लघु पेंटिंग, प्राचीन आभूषण, किराने का सामान, इत्र और लकड़ी का काम शामिल है। नया बाज़ार का पूरा क्षेत्र अनोखी दुकानों से भरा हुआ पाया जाता है जिनके लिए मोलभाव करना पड़ता है।

अजमेर में मंदार द्वार

मंदार गेट पर राजस्थान का स्थानीय स्वाद लिया जा सकता है जो यात्रियों को खरीदारी के कई अवसर प्रदान करता है। यहां पर्यटक ज्यामितीय और जीवंत पैटर्न में बंदिनी का काम, चांदी के आभूषण, किशनगढ़ और जोधपुरी जूतियों की विशिष्ट लघु पेंटिंग देख सकते हैं । स्थानीय बाजारों के अलावा अजमेर में बड़ी संख्या में आधुनिक शॉपिंग आर्केड भी स्थित हैं।

अजमेर एक बहुत छोटा शहर है लेकिन यह पर्यटकों के साथ-साथ स्थानीय लोगों के लिए एक बेहतरीन खरीदारी स्थल भी है।

अजमेर-पुष्कर में खरीदारी

जब कोई अजमेर और पुष्कर के बारे में बात करता है, तो शायद ही आप इसे एक आदर्श पवित्र तीर्थ स्थल या खरीदारी का स्वर्ग मानते हैं। अजमेर न केवल मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए एक पवित्र स्थान है, बल्कि यह सभी धर्मों और सभी राष्ट्रीयताओं के पर्यटकों के बीच काफी प्रसिद्ध है। यह अजमेर के संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की पवित्र दरगाह का घर है। कोई भी पारंपरिक सामान, स्मृति चिन्ह और यहां तक ​​कि परिधान भी प्राप्त कर सकता है जो राजस्थानी संस्कृति को अच्छी तरह से दर्शाते हैं। अजमेर में खरीदने के लिए कई चीजें हैं जो आपको शॉपिंग सड़कों पर मिल जाएंगी।

यदि आप खरीदारी के शौकीन हैं और पारंपरिक कलाकृतियों का संग्रह करना पसंद करते हैं, तो यह लेख आपके लिए सबसे उपयुक्त है। यह सबसे अच्छा अजमेर पुष्कर शॉपिंग गाइड है जिसमें खरीदारी करने के लिए चीजें और यहां खरीदारी करने के स्थान शामिल हैं। तो, चलिए निम्नलिखित विवरणों से शुरू करते हैं।

अजमेर में:
एक प्रसिद्ध हलचल भरा शहर जयपुर से 130 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में स्थित है और पुष्कर से लगभग 14 किलोमीटर दूर है। अजमेर शहर को पहले "अजय मेरु" नाम दिया गया था और इसका मोटे तौर पर एक अजेय पहाड़ी के रूप में अनुवाद किया जाता है। कई पर्यटन स्थलों का घर होने के नाते, अजमेर समृद्ध भारतीय संस्कृतियों और नैतिकता की विविधता का प्रतिनिधित्व करता है। प्रसिद्ध दरगाह शरीफ के अलावा, आप अपने प्रियजनों के साथ अजमेर में खरीदारी का आनंद भी ले सकते हैं।

खरीदारी के लिए चीजें: हस्तशिल्प, कपड़ा, इंडो-वेस्टर्न पोशाक, आभूषण, प्राचीन फर्नीचर और स्थानीय वस्तुएं

खरीदारी के लिए स्थान: अजमेर में खरीदने के लिए कई अद्भुत चीजें हैं जो आपको शहर के शॉपिंग टूर पर मिलेंगी। अपने परिवार और दोस्तों के लिए स्मारिका के रूप में कुछ प्रामाणिक राजस्थानी हस्तशिल्प वस्तुएँ प्राप्त करें। खरीदारी के लिए अजमेर में घूमने लायक कुछ बेहतरीन जगहें हैं -

दरगाह बाजार वास्तव में शहर का दिल है जो ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती शरीफ के काफी करीब स्थित है। बाज़ार में कई वस्तुएँ हैं जो स्मारिका के रूप में प्राप्त करने लायक हैं। आपको कपड़ों, चादरों, टेबल क्लॉथ और अन्य वस्तुओं की दुकानें मिलेंगी।

नाला बाज़ार कपड़ों, पेंटिंग, लघुचित्र, लकड़ी के काम, चांदी के आभूषण आदि की खरीदारी के लिए सबसे अच्छा बाज़ार है। प्रामाणिक हस्तशिल्प और स्मृति चिन्हों की खरीदारी करते समय अजमेर की संस्कृति और परंपराओं में खुद को डुबो दें।

महिला मंडी कपड़े, दुपट्टे, आभूषण, सहायक उपकरण और बहुत कुछ खरीदने के लिए सबसे अच्छी जगह है। बाज़ारों की खोज करते समय यात्री वास्तव में आश्चर्यचकित रह जाएंगे क्योंकि इस बाज़ार से प्राप्त करने के लिए कई पारंपरिक चीज़ें हैं।

पुरानी मंडी कपड़ा, उपहार वस्तुओं और स्मृति चिन्हों के लिए एक प्रसिद्ध स्थान है। यह आपके जाने के लिए एकदम सही जगह है। शॉपिंग टूर पर आपको यहां छोटी दुकानों से लेकर बड़े शोरूम तक सब कुछ मिलेगा। आप चूड़ियाँ, किताबें और सुंदर स्टेशनरी आइटम भी प्राप्त कर सकते हैं।

अजमेर-पुष्कर में खरीदारी

भारत के सबसे पुराने हिंदू तीर्थ शहरों में से एक, पुष्कर, अजमेर के उत्तर पश्चिम में स्थित है। शांत शहर पुष्कर राजस्थान आने वाले हजारों पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए एक पसंदीदा स्थान है। यह तीन तरफ से खूबसूरत पहाड़ियों से घिरा हुआ है। नाग पहाड़ का शाब्दिक अर्थ साँप पर्वत है, जो राजस्थान के गुलाब उद्यान के रूप में प्रसिद्ध है।

खरीदारी के लिए चीजें: सोने और चांदी के गहने, पुरुषों और महिलाओं के लिए शादी के कपड़े, बर्तन, सौंदर्य प्रसाधन, चमड़े का सामान, गुलाब के उत्पाद, लघु पेंटिंग, रंगीन कठपुतलियाँ, दीवार पर लटकने वाले सामान, आदि।

खरीदारी के स्थान: पुष्कर में, आप एक अद्भुत खरीदारी का आनंद ले सकते हैं रंगीन बाज़ारों में घूमते हुए भ्रमण करें। पुष्कर में खरीदारी करने के लिए कुछ बेहतरीन जगहें हैं -

सदर बाज़ार खरीदारी के लिए सबसे अच्छी जगह है, जो पारंपरिक कलाकृतियों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदर्शित करने वाले जीवंत स्टालों से सुसज्जित है। मुख्य बाज़ार क्षेत्र झील के उत्तरी क्षेत्र में स्थित है, जिससे आपको अंदाज़ा हो जाएगा कि लोग शहर के ऐसे आकर्षणों पर खरीदारी करना क्यों पसंद करते हैं।

केडलगंज बाज़ार उच्च गुणवत्ता वाली हस्तशिल्प वस्तुओं की बिक्री के लिए काफी प्रसिद्ध है। इस बाजार में राजस्थान की कुछ अन्य जरूरी चीजें भी मिल सकती हैं। अगर आपको अपने घर या अन्य चीजों को सजाने के लिए अनोखी चीजें लेना पसंद है।

सराफा बाज़ार, पुष्कर के लिए उच्च गुणवत्ता वाली आकर्षक वस्तुएँ एक ही स्थान पर खरीदने के लिए एक बेहतरीन जगह है। यह सबसे अच्छा बाज़ार है, जहाँ दुकानें हैं जहाँ आप कपड़े, सहायक उपकरण, जूते, पारंपरिक परिधान आदि पा सकते हैं। जीवंत माहौल और दुकानों में उचित कीमतें अन्य आकर्षण हैं।

बड़ा बाज़ार आपको अनोखी वस्तुएं खरीदने के लिए अलग-अलग दुकानें प्रदान करता है। कपड़े, सहायक उपकरण, जूते, हस्तशिल्प, कृत्रिम आभूषण आदि की एक अच्छी श्रृंखला मिल सकती है। जीवंत बाज़ार में पुष्कर के स्थानीय व्यंजनों को आज़माने के लिए कुछ रंगीन दुकानें उपलब्ध हैं।

निष्कर्ष -
इस विशेष शॉपिंग गाइड के साथ, हम शर्त लगाते हैं कि आपको सभी बाजारों में खरीदारी का अद्भुत अनुभव होगा। खरीदारी करने के लिए लोकप्रिय स्थानों, खरीदारी के लिए चीजों और अजमेर और पुष्कर में खरीदारी की इस सूची में। अजमेर-पुष्कर की खरीदारी यात्रा पर कोई भी स्थानीय बाजारों का पता लगा सकता है 








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