हिम्मत की कीमत


 हिम्मत की कीमत- 

नंदपुर नाम का एक छोटा सा गांव था। उसमें रामू और उसकी पत्नी लक्ष्मी रहते थे। उनके एक पांच साल का बैठा था। जिसका नाम चिंटु था। पर रामू और लक्ष्मी  बहुत ही गरीब थे। इसलिए गांव में कोई उनकी इज्जत नहीं करता थे। इस कारण रामू और लक्ष्मी बहुत दुखी रहते थे। रामू के पास एक बीघा जमीन थी। जमीन कम होने के कारण फसल भी कम होती थी इससे लक्ष्मी बहुत दुखी रहती थी घर का खर्च भी अच्छे से नहीं चला पाती थी। एक दिन लक्ष्मी ने रामू से कहा सुनो जी, हमें कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे हमारी आमदनी थोड़ी सी बढ़ जाए। रामू ने कहा क्या करें तुम्हें बताओ मुझे तो कोई उपाय नहीं सुजरहा। लक्ष्मी ने कहा अच्छा हमारे पास एक बीघा जमीन है इसमें हम खेती के बजाय सब्जियां ऊगाना शुरू करते हैं रामू ने कहा अच्छा ठीक है तुम जैसा चाहो वैसा ही  करो। लक्ष्मी अपनी कड़ी मेहनत से जमीन में सब्जियां उगाने के लिए मेहनत करने लगी उसने कुछ थोड़ी-थोड़ी सब्जियां अलग-अलग छोटे-छोटे क्यारियां बना कर ऊगाना शुरू कर दी। कुछ ही दिनों के बाद सब्जियों के पौधे बड़े हो गये। और उनमें फल आने शुरू हो गये। सब्जियों को देखकर लक्ष्मी और रामू बहुत खुश हुए हैं लक्ष्मी सब्जियों को लेकर के बाजार जाती और बेंच कर आती । इससे रामू और लक्ष्मी के घर के हालात में सुधार होने लगा और उनकी पहले से अच्छे दिन हो गये।

कहानी से शिक्षा-इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी हिम्मत नहीं छोड़नी चाहिए और हर परिस्थिति में साहस और हिम्मत से काम लेना चाहिए।






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